ग्राम पंचायत से लेकर राजधानी तक कार्यकर्ताओं को दी जाएगी सरकारी जिम्मेदारी

भोपाल । मप्र में भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाएगी। इसके लिए पार्टी उन्हें सरकारी योजनाओं और कार्यक्रम में भागीदारी देकर उनके मनोबल को बढ़ाएगी। गौरतलब है कि भाजपा कैडर बेस पार्टी है। इसमें कार्यकर्ता का सबसे अधिक महत्व होता है। लेकिन सत्ता में कार्यकर्ताओं के लिए कोई स्थान नहीं सुनिश्चित नहीं रहता है। इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष दिखता रहता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। पार्टी की रणनीति के अनुसार अब भाजपा के कार्यकर्ताओं की सरकार में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। भाजपा सरकार के पिछले करीब दो दशक में यह पहला अवसर होगा, जब सत्ता में कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। लगभग 33 साल पहले तत्कालीन सुंदरलाल पटवा सरकार में ये समितियां बनाई गई थीं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में आए विपरीत परिणाम और कार्यकर्ताओं में उपजे असंतोष से सीख लेते हुए मप्र में भाजपा दो लाख कार्यकर्ताओं की सरकार में भागीदारी सुनिश्चित करने की तैयारी कर रही है। पार्टी की योजना है कि अगले छह महीनों में ग्राम पंचायत से लेकर राजधानी तक कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाकर उन्हें जिम्मेदारी दे दी जाए। मप्र भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश सरकार के विविध प्रकार के सार्वजनिक उपक्रम समितियां मंडल निगम में अशासकीय सदस्यों की नियुक्तियां की जाती है। यह शासन के नियम अनुसार होती हैं। वास्तव में यह प्रक्रिया जनता और सरकार के बीच पुल का कार्य करती हैं। शासन की गति तेज होती है। अंत्योदय समितियां और सहकारिता उनमें एक हैं। इनमें कौन लोग होंगे, कब होगी और पद्धति क्या होगी यह तय करने का अधिकार प्रदेश सरकार को है।

 

 दीनदयाल अंत्योदय समितियों का होगा गठन


 गौरतलब है कि कार्यकर्ताओं के बल पर भाजपा बड़ी पार्टी बनी है। इसलिए सत्ता में कार्यकर्ताओं की भागीदारी बढ़ाने के मॉडल पर काम कर रही भाजपा सरकार ने सरकारी योजनाओं की राजधानी से ग्राम पंचायत स्तर तक निगरानी के लिए दीनदयाल अंत्योदय समितियों के पुनर्गठन का रास्ता साफ कर दिया है। दीनदयाल अंत्योदय समितियों में राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री और जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री अध्यक्ष होंगे। हर स्तर पर गठित समितियों में एससी और एससी वर्ग की महिलाओं के लिए पद आरक्षित रहेंगे। पहले चरण में गांव से राजधानी भोपाल तक दीनदयाल अंत्योदय समितियों का गठन किया जाएगा। इन्हें मप्र (लोक अभिकरणों के माध्यम से) दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम का क्रियान्वयन अधिनियम 1991 और 20 सूत्रीय कार्यक्रम एवं क्रियान्वयन कमेटी के तहत अधिकार संपन्न बनाया जाएगा। एक्ट होने के कारण इन समितियों को कई तरह के प्रशासनिक अधिकार भी मिल जाएंगे। इसके बाद सहकारी समितियों के चुनाव करवाकर गांव से लेकर भोपाल तक की सहकारी समितियों में कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। निगम-मंडल सहित अन्य संस्थाओं में भी राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी।

योजनाओं की निगरानी व सलाह के अधिकार होंगे


राज्य स्तरीय समिति में यथासंभव इस वर्ग की प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसके जरिये पांच लाख भाजपा कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा। वर्ष 1991 में भाजपा की सरकार के दौरान ये समितियां काम करती थीं। नए मॉडल में समितियां राज्य, जिला, नगर, विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर होंगी। प्रदेश में पंचायतों की बड़ी संख्या होने और जिला व राज्य स्तर पर इन समितियों के गठन से भाजपा से जुड़े दो लाख से अधिक कार्यकर्ता इस काम से जुड़ जाएंगे। इन्हें सरकारी योजनाओं की निगरानी व सलाह के अधिकार होंगे। इसके लिए उन्हें मानदेय तो नहीं मिलेगा पर ब्लाक, जिला और राज्य स्तरीय समिति के सदस्य को बैठकों में शामिल होने के लिए यात्रा भत्ता और दैनिक भत्ते दिए जाएंगे। राज्य स्तर पर साल में दो बार, जिला और विकास खंड स्तर पर माह में एक बार समिति की बैठक होंगी। बैठकों में निर्धारित कार्यक्रम में लक्ष्य और उपलब्धियों की गुणात्मक एवं संख्यात्मक समीक्षा की जाएगी। दरअसल, भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक भाजपा की सरकार होनी चाहिए। इसके लिए कार्यकर्ताओं का सशक्त होना जरूरी है।