अब जनजातियों के पारम्परिक व्यंजनों का स्वाद भी लेंगे पर्यटक
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने और स्थानीय जनजातीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ट्राईबल कैफेटेरिया स्थापित कर रही है। प्रदेश के सिवनी जिले में पेंच नेशनल पार्क के समीप टूरिया गाँव में, बालाघाट जिले में कान्हा नेशनल पार्क के पास और धार जिले में मांडू में ट्राईबल कैफेटेरिया निर्माणाधीन हैं। इन कैफेटेरिया के जरिये पर्यटकों को क्षेत्रीय जनजातीय संस्कृति, खान-पान, व्यंजन और शिल्पकारी से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय जनजातीय समुदायों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इससे जनजातीय समुदाय की कला व संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। कैफेटेरिया में स्थानीय जनजातीय व्यंजन, हस्तशिल्प और पारंपरिक सजावट उपलब्ध होगी, जिससे पर्यटक एक अनोखे सांस्कृतिक एवं पारिवारिक अनुभव का आनंद ले सकेंगे। इन कैफेटेरिया की स्थापना से स्थानीय जनजातीय समुदायों को रोजगार मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। निश्चित ही पर्यटन उद्योग में भी नए अवसरों का सृजन होगा।
जनजातीय कार्य विभाग के अधीन वन्या संस्थान द्वारा इसके लिये विधिवत प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था। शासन से 5 ट्रॉईबल कैफेटेरिया की मंजूरी मिल गई है। ये ट्रॉईबल कैफेटेरिया म.प्र. पर्यटन विकास निगम (एमपीटी) द्वारा संचालित किये जायेंगे। इसके लिये जनजातीय वर्ग के स्व-सहायता समूहों को जोड़ा जायेगा। ये समूह क्षेत्रीय जनजातियों के पारम्परिक व्यंजन तैयार कर इस कैफेटेरिया के माध्यम से विक्रय करेंगे। ट्रॉईबल कैफेटेरिया में जनजातियों के पोषक आहार पेज, कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा, मक्का-महुआ, चार-अचार आदि से बने व्यंजन, मिठाई, हलवा आदि तैयार कर पर्यटकों को बेचे जायेंगे। साथ ही जनजातियों की शिल्पकारी, चित्रकारी, खिलौने, बाँस से निर्मित उत्पाद आदि का विक्रय भी किया जायेगा। इससे जनजातीय समुदाय को आजीविका के नये साधन मुहैया होंगे और अतिरिक्त आय उपार्जन भी होगा।
पहले चरण में प्रदेश के 3 जिलों में ट्रॉईबल कैफेटेरिया की स्थापना के लिये स्थल (भूमि) का चयन कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। ट्रॉईबल कैफेटेरिया के लिये डिजाइन (नक्शा) भी पारित कर दिया गया है। दूसरे चरण में छतरपुर सहित एक अन्य जिले में भी ऐसे ही ट्रॉईबल कैफेटेरिया खोले जायेंगे।
जनजातीय क्षेत्र प्रशासन के तहत मिली विकास राशि
संविधान के अनुच्छेद-275 के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्र प्रशासन के तहत विकास योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिये शत-प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है। यह राशि जनजातीय कार्य मंत्रालय के जरिये राज्य सरकारों को आवंटित की जाती है। ट्रॉईबल कैफेटेरिया के लिये भी जनजातीय क्षेत्र प्रशासन के तहत विकास राशि प्राप्त हो गई है। ये ट्रॉईबल कैफेटेरिया जनजातीय कार्य विभाग के पूर्ण स्वामित्व में वन्या संस्थान के माध्यम से एमपीटी द्वारा चलाये जायेंगे। ट्रॉईबल कैफेटेरिया के लिये एमपीटी जनजातीय वर्ग के स्व-सहायता समूहों को समुचित प्रशिक्षण व तकनीकी मार्गदर्शन भी देगा। पारम्परिक जनजातीय आहार एवं व्यंजनों सहित जनजातीय कला-संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं उत्पादों के विक्रय के लिये स्थापित किये जा रहे ट्रॉईबल कैफेटेरिया के जरिये सरकार जनजातियों के आर्थिक स्वावलम्बन की दिशा में महती प्रयास कर रही है।