भोपाल। मप्र में कई आईएएस अफसर ऐसे हैं जो कई बार कलेक्टरी का सुख प्राप्त कर चुके हैं, वहीं कई अफसर ऐसे हैं जिन्हें अभी तक कलेक्टरी ही नहीं मिली है। साथ ही कुछ ऐसे अफसर भी हैं जो बिना कलेक्टर बने रिटायर हो चुके हैं। ऐसे अफसरों की संख्या एक दर्जन तक पहुंच चुकी है। ये अफसर वे हैं जो प्रमोट होकर आईएएस बने हैं। इसके उलट कई सीधी भर्ती के आईएएस ऐसे हैं जो लगातार मैदानी पदस्थापना पा रहे हैं। आलम यह है कि 2015 बैच के सीधी भर्ती वाले आईएएस को कलेक्टर बनाने का सिलसिला शुरू हो गया है, लेकिन 2010, 2011, 2012, 2013 और 2014 बैच के कई प्रमोटी आईएएस अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें अभी तक कलेक्टरी का इंतजार है। गौरतलब है कि हर अफसर की एक बार कलेक्टर के रूप में काम करने की तमन्ना रहती है। कलेक्टर नहीं बन पाने की वजह से-उनकी इच्छा अधूरी रह जाती है। ऐसे ही कई आईएएस अफसर हैं, जो सीनियर होने के बाद भी कलेक्टर नहीं बन सके हैं। खासकर महिला आईएएस के साथ तो हमेशा से ही भेदभाव होता रहा है। दरअसल इन अफसरों के बारे में कहा जाता है कि इनकी सरकार में पकड़ कमजोर हैं और प्रशासन में भी उनका कोई प्रभावशाली आका नहीं है, जिसकी वजह से ही उनकी कलेक्टरी के लिए कोई पूछ परख नहीं की जा रही है। इसके अलावा राप्रसे से आईएएस अधिकारी बनने वाले अधिकांश अफसरों को एक ही बार कलेक्टर बनने का मौका मिल सका है। इसमें अपवाद स्वरुप एक दो सीधी भर्ती के आईएएस अफसर भी शामिल हैं। यह बात अलग है कि पूर्व में कुछ पदोन्नत होकर आईएएस अफसर सरकार के बेहद खास रहे, जिसकी वजह से वे न केवल कई जिलों के कलेक्टर बनते रहे हैं, बल्कि बेहद महत्वपूर्ण और मलाईदार जगहों पर भी पदोन्नत होकर पदस्थ होते रहे हैं।दरअसल, मप्र सरकार द्वारा कलेक्टर की पोस्टिंग में भी भेदभाव किया जा रहा है। खासकर प्रमोशन से आईएएस बने अफसरों के बैच में शामिल अधिकारियों की जगह इक्का-दुक्का को ही कलेक्टरी मिल पाती है, जबकि सीधी भर्ती के आईएएस अफसर प्रमोटी से दो गुना ज्यादा कलेक्टरी पाने में सफल रहते हैं। ऐसा 2014 के बैच अफसरों के साथ देखा जा सकता है। सीधी भर्ती के 10 से ज्यादा आईएएस और प्रमोशन वाले चार अफसर ही कलेक्टरी कर रहे हैं। 2014 बैच में कुल 28 अफसर हैं, जिसमें प्रमोटी अफसरों में अभी तक डॉ. अभय अरविंद बेडेकर, अलीराजपुर, सुधीर कुमार कोचर, दमोह, अजयदेव शर्मा पन्ना, चंद्रशेखर शुक्ला सिंगरौली और विदिशा कलेक्टरी से हटाए गए बुद्धेश वैद्य का नाम शामिल हैं। इसी बैच के नियाज अहमद खान, नीतू माथूर, अंजू पवन भदौरिया, जमुना भिडे, दिलीप कुमार कापसे, विनय निगम आदि को कलेक्टर नहीं बनाया है। जबकि सीधी भर्ती के 12 अफसर कलेक्टर हैं। हाल ही में सरकार ने 2015 बैच के आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाया है। इनमें संस्कृति जैन सिवनी, अदिति गर्ग मंदसौर, पर्थ जैसवाल छतरपुर, रौशन कुमार सिंह विदिशा, मृणाल मीना बालाघाट, हर्ष सिंह डिंडौरी, हर्षल पंचौली अनूपपुर और हिमांशु चंदा को नीमच का कलेक्टर बनाया है, जबकि इस बैच में 16 आईएएस अफसर हैं और 12 सीधी भर्ती के तथा 4 प्रमोशन वाले अफसर शामिल हैं।
इनको कलेक्टरी का इंतजार
एक तरफ सरकार ने 2015 बैच के आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाने की शुरूआत कर दी है। लेकिन उससे पहले के कई बैच के कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो कलेक्टर बनने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। इनमें 2010 बैच में चंद्रशेखर वालिम्बे, 2011 बैच में सीधी भर्ती की आईएएस नेहा मारव्या, प्रमोशन से आईएएस बने अफसरों में प्रीति जैन, उषा परमार, हरिसिंह मीना, सरिता बाला प्रजापति, गिरीश शर्मा, 2012 बैच के रत्नाकर झा, तरुण भटनागर, दिनेश कुमार मौर्य, विवेक श्रोत्रिय, राजेश कुमार ओगरे, भारती ओगरे, 2013 बैच के शिवम वर्मा, मीनाक्षी सिंह, कैलाश वानखेडे, अमर बहादुर सिंह, मनीषा सेठिया, नीरज कुमार वशिष्ठ, रुही खान, पवन कुमार जैन आदि शामिल हैं। इनमें पवन कुमार जैन के विरुद्ध शिकायतें लंबित हैं। वहीं 2015 बैच को कलेक्टरी मिलना प्रारंभ हो गई है। 8 अफसर कलेक्टर बनाए भी जा चुके हैं। इसके बावजूद रीतू राज, अर्पित वार्मा, बालागुरु के, गुनचा सनोबर, प्रमोटी राखी सहाय, संजय कुमार जैन, शीला दाहिमा और विदिशा मुखर्जी कलेक्टर पाने के लिए लॉबिंग में जुटे हुए हैं। उधर, सीधी भर्ती और प्रमोशन से आईएएस बनीं कई महिला अफसरों को केवल एक बार ही कलेक्टरी मिल सकी है। वर्तमान में इनमें से कई को सचिव और निगम-मंडलों में एमडी जैसे पद पर पदस्थ कर रखा है।