भोपाल : मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होने के साथ कृषि प्रधान राज्य है। प्रदेश में तिलहन, दलहन, फल, सब्जी, वनोपज आदि का भरपूर उत्पादन होता है। इन सबके बाबजूद भी एनीमिया और कुपोषण की समास्याएँ कम नहीं हुई है। कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता आवश्यक है। यह बात महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने नूर उस सबा होटल में सॉलिडेरिडाड संस्था द्वारा 'गुड फार्मिंग, गुड फूड, गुड हेल्थ' विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थी।

मंत्री भूरिया ने कहा कि कुपोषण और एनीमिया जैसी समास्याओं से उभरने के लिये इमें एकजुट होकर कार्य करने होगें। ग्रामीण परिवारों में पौष्टिक आहार के प्रति जागरूकता लाना, स्थानीय संसाधनों का प्रयोग कर गुणवत्ता पूर्ण पोषक आहार को बढ़ावा देना होगा। इस कार्य में सामाजिक संस्थाएँ अहम भूमिका निभा सकती है। स्वास्थ्य महिला बाल विकास एवं पंचायत, ग्रामीण विकास विभाग इस दिशा में मिलकर काम करे तो सफलता निश्चित मिलेगी। भूरिया ने कहा कि वर्तमान में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। फसलों में उत्पादन बढा़ने के लिये केमिकल फर्टिलाइजर/दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। क्वालिटी काम्प्रोमाईस हो रही है। उन्होंने कहा कि सॉलिडरीडाड संस्था सोयाबीन से बने खाद्य पदार्थ को आहार में सम्मिलित करने एवं समुदाय में संतुलित आहार के प्रति जागरूकता लाने में सफलतापूर्वक अपना सहयोग दे रही है। मंत्री निर्मला भूरिया 'गुड फार्मिंग, गुड फूड, गुड हेल्थ' विषय पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया।

आयुक्त महिला बाल विकास सुफिया फारूकी वली ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में हॉट कुक मील और मध्यान्ह भोजन में कैसे न्यूट्रीशन बच्चों को दे सकते है, स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल किया जाये। उन्होंने कहा कि आँगनवाड़ी और प्राइमरी स्कूल के बच्चों को अगर ताजी सब्जी दे तो काफी हद तक कुपोषण की समास्या से जीत सकते है। अब वो दादी-नानी के समय के आहार पद्धति को पुन: अपनाना होगा।

कार्यक्रम में सीआईएई की प्रिंसिपल साईटिस्ट दीपिका अग्रहरि ने कहा कि न्यूट्रिशन और प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन करना और उसकी जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। इस अवसर पर सॉलिडरीडाड संस्था के महाप्रबंधक डॉ. सुरेश मोटवानी ने संस्था द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी।