अखिलेश ने कन्नौज से चुनाव लड़ने का फैसला लिया,रामगोपाल यादव ने बताया....
कन्नौज। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के गुरुवार को कन्नौज लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। इस मौके पर सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव भी मौजूद थे। सपा कार्यालय में अखिलेश का जोरदार स्वागत किया गया गया।
दैनिक जागरण से बातचीत में रामगोपाल यादव ने कहा कि सपा संगठन, नेता, कार्यकर्ताओं व जनता की मांग पर अखिलेश ने कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। जब उनसे सवाल किया गया कि चुनाव में मुद्दा क्या है, तो बोले इस चुनाव में मुद्दा सिर्फ मोदी को हटाने का है।
उन्होंने कहा कि कन्नौज से लेकर देश की जनता अब भाजपा से ऊब चुकी है। पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक की एकजुटता इस बार परिणाम बदल कर रख देगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सपा ने दो दिन पहले 22 अप्रैल को कन्नौज सीट से तेज प्रताप को टिकट दिया था। तेज प्रताप की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही सपा की स्थानीय इकाई विरोध करने लगी थी। कन्नौज के सपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को सपा अध्यक्ष से मिलने लखनऊ भी आया था।
स्थानीय नेताओं ने अखिलेश को कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बारे में बताया था। इसके साथ ही यह मांग फिर दोहराई थी कि सपा अध्यक्ष यहां से खुद चुनाव लड़ें, उनके न लड़ने पर यह सीट पार्टी हार सकती है। इस घटनाक्रम के बाद मंगलवार से ही अखिलेश यादव के कन्नौज से चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई थी।
हालांकि, इस पर बुधवार की दोपहर तक असमंजस बना रहा। बुधवार को इटावा में सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा था कि तेज प्रताप ही कन्नौज से लड़ेंगे। इसके बाद फिरोजाबाद पहुंचकर उन्होंने एक न्यूज चैनल से अखिलेश के कन्नौज से लड़ने की बात कही।
वहीं, अखिलेश ने इटावा में कहा था कि नामांकन से पहले सच पता चल जाएगा। दो दिन के असमंजस के बाद सपा ने शाम को इंटरनेट मीडिया एक्स के जरिए अखिलेश के गुरुवार को दोपहर 12 बजे कन्नौज से नामांकन करने की घोषणा कर दी।
अखिलेश बोले- ‘कन्नौज-क्रांति’ होकर रहेगी
सपा अध्यक्ष ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखा कि ‘सुगंध की नगरी सकारात्मक राजनीति के जवाब के रूप में, नकारात्मक राजनीति करने वाली भाजपा को जिस तरह की पराजय की ओर ले जा रही है, इतिहास में उसे ‘कन्नौज-क्रांति’ के नाम से जाना जाएगा। जनतंत्र में जनता की मांग ही सर्वोपरि होती है। कन्नौज के हर गांव-गली-गलियारे से जो आवाज उठ रही है, साथ ही जो सपा और आइएनडीआइए गठबंधन के स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं की भी पुरजोर मांग है, वो सिर-आंखों पर… ‘कन्नौज-क्रांति’ होकर रहेगी। मोहब्बत की महक फैलानी है, हमको लिखनी नई कहानी है।’
अब तक 10 सीटों पर प्रत्याशी बदल चुकी है सपा
सपा अब तक 10 लोकसभा सीटों के प्रत्याशी बदल चुकी है। कुछ सीटों पर तो चार बार प्रत्याशी बदले गए हैं। गौतम बुद्ध नगर से सपा ने पहले डॉ. महेंद्र नागर को टिकट दिया था, बाद में राहुल अवाना को टिकट मिला। तीसरी बार सपा ने फिर से डॉ. नागर को ही टिकट दिया। मुरादाबाद में पहले सांसद एसटी हसन को उम्मीदवार घोषित किया। नामांकन के बाद उनका टिकट काटकर रुचि वीरा को दे दिया।
मेरठ से पहले भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया था, फिर उनकी जगह सरधना विधायक अतुल प्रधान को टिकट दिया गया। अंत में अतुल का टिकट काटकर पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
इसी तरह बदायूं सीट से पहले धर्मेंद्र यादव फिर शिवपाल सिंह यादव और अब उनके बेटे आदित्य यादव को प्रत्याशी बना दिया गया है। मिश्रिख सीट पर तो पहले रामपाल राजवंशी, फिर उनके बेटे मनोज राजवंशी और बाद में मनोज की पत्नी संगीता राजवंशी को टिकट दिया गया। अब सपा ने यहां पूर्व सांसद रामशंकर भार्गव को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
बिजनौर में पहले यशवीर सिंह को टिकट मिला बाद में दीपक सैनी मैदान में आ गए। संभल में सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद उनके पौत्र व कुंदरकी के विधायक जियाउर्रहमान बर्क को टिकट दिया गया। सुलतानपुर में पहले भीम निषाद को टिकट मिला बाद में रामभुआल निषाद को टिकट दे दिया गया। बागपत में पहले मनोज चौधरी को टिकट मिला बाद में उनका टिकट काटकर अमरपाल शर्मा को प्रत्याशी बना दिया गया।